दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को रेड अलर्ट की बीच जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में मूसलाधार बारिश हुई। कुछ जगह हिमपात भी हुआ। कश्मीर घाटी के गुरेज में भारी बर्फबारी के चलते 8वीं तक स्कूल बंद कर दिए गए हैं। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के गंगा के तटवर्ती इलाकों में ऑरेंज अलर्ट के बीच तेज हवाएं चलीं और अलग-अलग स्थानों पर ओलावृष्टि और गरज के साथ भारी बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा, कोंकण और गोवा और महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र को छोड़कर देश के छत्तीसगढ़ से लेकर कर्नाटक और केरल एवं पूर्वोत्तर के सभी सातों राज्यों में बारिश रिकॉर्ड की गई।
पश्चिमी विक्षोभ से बिगड़ेगा मौसम
उत्तर पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और उत्तर-पश्चिम झारखंड एवं उत्तर बांग्लादेश और आसपास के इलाकों पर ऊपरी और निचले क्षोभमंडल स्तर पर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। दक्षिण हरियाणा और आसपास के क्षेत्र से उत्तर बांग्लादेश तक एक ट्रफ रेखा भी बनी हुई है। मौसम संबंधी इन प्रणालियों के प्रभाव से जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल और पूर्वोत्तर के सभी सातों राज्यों के साथ 20 राज्यों में रविवार को आंधी-तूफान, भारी बारिश, बिजली गिरने और ओलावृष्टि की संभावना है। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और झारखंड के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
कश्मीर घाटी में बर्फबारी, कई रास्ते बंद
कश्मीर के पर्वतीय इलाकों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश हुई है। सिंथन टॉप में बर्फबारी के कारण अनंतनाग-किश्तवाड़ मार्ग दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। राजदान पास में भी ताजा बर्फबारी के कारण बांदीपोरा-गुरेज मार्ग और गांदरबल जिले के जोजिला पास पर भी यातायात रोक दिया गया है। अफरवट, मच्छिल, पहलगाम के पहाड़ी क्षेत्र, पीर पंजाल की पहाड़ियों और अमरनाथ गुफा के आसपास के इलाके में भी बर्फबारी हुई है।
पंजाब में आंधी-बारिश से सैंकड़ों पेड़ गिरे
पंजाब के कैथल समेत विभिन्न जिलों में शुक्रवार की रात आंधी और बारिश के चलते सैकड़ों पेड़ गिर गए, लगभग 130 बिजली के खंभे उखड़ गए और गेहूं की फसल को भी काफी नुकसान पहुंचा। कई इलाकों में बिजली आपूर्ति भी बाधित रही। कैथल से पाटियाला, सिरटा रोड, करनाल रोड व सौंगल से हरसौला ग्रामीण रुट पर कई स्थानों पर पेड़ भी गिरे, जिससे आवागमन बाधित हुआ।
दो डिग्री तापमान बढ़ा तो 52 फीसदी खेतों में घटेगी फसलों की विविधता
जलवायु परिवर्तन अब हमारी दैनिक जिंदगी से लेकर वैश्विक खाद्य प्रणाली तक को गहराई से प्रभावित कर रहा है। इसका सीधा असर खेती-किसानी पर पड़ रहा है। एक अंतरराष्ट्रीय शोध में यह चेतावनी दी गई है कि यदि वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि होती है, तो दुनिया की 52 फीसदी कृषि योग्य भूमि पर फसलों की विविधता में भारी गिरावट आएगी। यह शोध नेचर फूड नामक प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
फिनलैंड की आल्टो यूनिवर्सिटी, जर्मनी की गोएटिंगन यूनिवर्सिटी और स्विट्जरलैंड की ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस शोध को अंजाम दिया है। इसमें वैश्विक तापमान में 1.5 से 4 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी के चार परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए 30 प्रमुख फसलों का विश्लेषण किया गया है। अध्ययन में यह बात सामने आई है कि यदि तापमान 3 डिग्री तक बढ़ता है तो कृषि भूमि का 56 फीसदी हिस्सा फसलों की विविधता खो सकता है। यह गिरावट मुख्यतः भूमध्यरेखा के आसपास स्थित क्षेत्रों में देखने को मिलेगी। विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में, जहां वर्तमान कृषि भूमि का 70 फीसदी से अधिक हिस्सा प्रभावित हो सकता है।